Thursday, January 24, 2008

क्यों हम जी नही सकते जैसे जीना चाहते हैं
हर बार क्यों रास्ते में रोड़े आते हैं
क्यों लगता है कि दुनिया में सबको खुश करते चले
क्यों अपनी ही खुशियों को दफ़न किये जाते हैं ।

जिनका साथ है आज वो कल छूट न जाये
हर रात सोते हुए बस यही ख़याल आता है
जो थे कभी अनजान, आज हाल ये है कि
अपनों से भी ज्यादा उनका ख़याल सताता है ।

क्यों जिंदगी को झेलते नही बे धड़क,
कि आ जाएँ वो सभी तूफान जो आने हैं,
क्यों हर बार तूफानों के डर से
हम जिंदगी से ही मुह छुपाते हैं ।